गया में पिंडदान का क्या है महत्व

Pind Daan in Gaya 2025: गया में पिंडदान का क्या है महत्व? जानें अर्थ एवं लागत

पिंड क्या है
चावल,जौ,काला तिल, आटे से बने गोलाकार “पिंड” कहलाते हैं। जिसे पितरों को अर्पित किया जाता है और ऐसा माना जाता है कि यह पिंड उनके लिए भोजन का प्रतिनिधित्व करता है।

जिसे उनके आत्मा को तृप्ति मिलती है ऐसा करने से पितृआत्मा अपने वंशज को शुभ फल देता है।

गया में पिंडदान का क्या है महत्व?

गया में पिंडदान का बहुत महत्व है। गया जी (बिहार)में श्राद्ध करने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथा के अनुसार गया और नाम का एक राक्षस था।

जिसे भगवान विष्णु की तपस्या का वरदान प्राप्त था कि उसे कोई देख ले या छू ले तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

विशेष व्यथा गयासुर की कथा में वर्णित है।

और ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री रामचंद्र जी ने अपने पिता श्री दशरथ जी का श्राद्ध कर्म गया बिहार में फल्गु नदी के तट पर श्री विष्णु पद मंदिर में ही पिंडदान किया था।

गया में पिंडदान का शुभ फल प्राप्त

गया में पिंडदान का महत्व:

  • घर में पितृ दोष का निवारण
  • घर के वंश कुल खानदान में पुत्र और पुत्री दोनों की बढ़ोतरी.(ऐसा माना जाता है कि केवल पुत्र ही हो और पुत्री ना हो या सिर्फ पुत्री ही हो और पुत्र ना हो यह भी घर में पितृ दोष का कारण जान पड़ता है)
  • अपने वंशज में सुख समृद्धि की प्राप्ति
  • वंश का रोग दोष निवारण
  • श्री लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति सुख समृद्धि प्राप्त होता है

गया जी पिंडदान कार्यक्रम क्यों करना चाहिए?

ऐसा माना जाता है की मृत्यु के बाद आत्मा को अपने कर्मों का फल यमलोक से प्राप्त होता है।

जब तक अपने कर्म फल भोग ना ले तब तक उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं मिलती परंतु गया जी में पिंडदान कर कर आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा पुराणों और गयासुर की कथाओं में वर्णित है

गया में पिंडदान किस करना चाहिए?
पिंडदान मुख्य रूप से पुत्र के द्वारा अपने दिवंगत पितरों पूर्वजों को करना चाहिए।

यदि पुत्र नहीं है तो उनकी पत्नी भी कर सकती है यद्यपि यह दोनों नहीं है तो कुछ अवस्था में पुत्री भी करती है।

यदि पुत्र पत्नी या पुत्री नहीं है तो कुल वंशज का कोई भी भाई भतीजा आदि भी कर सकते हैं।

गया में पितृ पक्ष कब मनाया जाता है

पितृ =(पूर्वज)से संबंधित है।
पक्ष =समय की अवधि।

यानी ऐसा समय अवधि जब हम अपने पूर्वजों के लिए ईश्वर से मोक्ष की कामना / प्रार्थना करना कि उनकी आत्मा को मोक्ष यानी श्री विष्णु जी के चरणों में स्थान प्राप्त हो ऐसे अवधि पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है।

Shradh Dates | Pitru Paksha dates

आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में आरंभ होकर मां के अमावस्या को समाप्त होता है।

यह अवधि 16 दिन का माना जाता है। इस अवधि में पुराणों में वर्णित कार्यक्रम के अनुसार ” गया जी श्राद्ध कार्यक्रम (पिंडदान) पद्धति” विधि विधान से किया जाता है। जिसे हम श्राद्ध कर्म या पिंडदान के नाम से जानते हैं

गया में पिंडदान के प्रावधान

पुराने के अनुसार पिंडदान का प्रावधान 10 दिन 13 दिन और 16 दिन का होता है।

परंतु गया जी पिंडदान आमतौर पर एक दिन में पूरा हो जाता है लेकिन कुछ लोग 3 दिन 7 दिन या 15 दिन का भी संपूर्ण पिंडदान अनुष्ठान करते हैं। यह कार्यक्रम सुबह से लेकर शुरुआत के पहले तक होता है।

गया पिंडदान के प्रसिद्ध स्थान एवं वेदियाँ

शहर में और उसके आसपास कई ऐसे स्थान हैं जहां श्रद्धालु पिंडदान के लिए आते हैं।

गया में पिंडदान के लिए कुछ प्रसिद्ध स्थान और वेदियां हैं:

विष्णुपद मंदिरपिंड वेदियांगया सरोवर
गार्ह्यपत्याग्नि
पद
फल्गु नदीवेतारानी सरोवर

ब्रह्मा पद
ब्रह्मकुंडसूर्यकुंड
सूर्य पदप्रेत्सीलारुक्मिणी तालाब

इंद्र पद

रामशीला
ब्रह्म सरोवर
चंद्र पदगधाधर वेदीपितामहेश्वर
रुद्र पदशारस्वती वेदी
गोदावरी


सीताकुंड, रामगया, गायत्री घाट, रामगया
अक्षय वट

ब्रह्मकुंड, बोधितरु, काकबली, जिह्वाल
रामशीला

इस्कॉन गया द्वारा गया पिंडदान की लागत: एक उदाहरण

पैकेज का नामगया श्राद्धत्रिपिंडीनारायण बाली
पैकेज की कीमत
15,000 रुपये 
21,000 रुपये (पितृ पक्ष के दौरान)
25,000 रुपये 
31,000 रुपये (पितृ पक्ष के दौरान)
30,000 रुपये 
36,000 रुपये (पितृ पक्ष के दौरान)
पैकेज विवरण1. ब्राह्मण भोजन
2. दक्षिणा
3. संकल्प
4.सामग्री
5. विष्णुपद, अक्षय बट, फल्गु नदी पर पिंडदान
6. डीलक्स आवास
1. ब्राह्मण भोजन
2. दक्षिणा
3. संकल्प
4. सामग्री
5. विष्णुपद, अक्षय बट, फल्गु नदी पर पिंडदान
6. डीलक्स आवास
1. ब्राह्मण भोजन
2. दक्षिणा
3. संकल्प
4. सामग्री
5. नारायण बलि पूजा, विष्णुपद, अक्षय बट, फल्गु नदी पर पिंडदान
6. डीलक्स आवास

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